बहर-2122-2122-2122-212
रदीफ़ – जिंदगी
काफिया-( ई) बहकती, चलाती, बदलती, पिघलती, तड़पती, दमकती।
रात की खामोशियों में है बहकती जिंदगी।
यार तन्हा में बड़े नस्तर चलाती जिंदगी।। (1)
हो करम तेरा सजा दो ख्वाब मेरा आज तुम।
ख्वाब में तुमको ज़रा पाकर बदलती जिंदगी।।(2)
चूम लेते हो लबों को पाक़ रिश्ते में सनम।
रूह में तेरी मुसलसल है पिघलती जिंदगी।।(3)
हमनशीं बैठो कभी पूछो ज़रा मेरी तल़ब।
याद में तेरी बहुत सूनी तड़पती जिंदगी।।(4)
या खुदा तेरी वफ़ा पा लूं कभी सच में अग़र।
चांद तारों सी चमकती है दमकती जिंदगी।।(5)
स्वरचित मौलिक रचना
अंजू विश्वकर्मा ‘अवि ‘
गोरखपुर, उ.प्र.।