तुम्हारे लिए है , तराना हमारा ।
पढ़ोगे लिखेंगे , सुहाना नजारा ।।
नजर वो चुराना ,गजब गुनगुनाना ।
परेशान गुलशन , बहाना सहारा ।।
कभी आदतों से , नहीं बाज आता ।
सताता सजाता , जमाना गवाँरा ।।
उड़ा जो मगन हो , महल – बाग- तोता ।
सिखाता लुभाता , ठिकाना विचारा ।।
न हद पार करनी , न जज्बात खोना ।
रहम राज करता , समझना इशारा ।।
बहुत शोर महफिल , नजाकत छिपायें ।
हिफाजत अजब , सूफियाना किनारा ।।
इनायत इबादत, शिकायत हिमाकत ।
“अनुज ” बेवजह , मन घराना सितारा ।
डॉ अनुज कुमार चौहान “अनुज “
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश ।
!! गजल !!
तुम्हारे लिए है , तराना हमारा ।पढ़ोगे लिखेंगे , सुहाना नजारा ।।नजर वो चुराना ,गजब गुनगुनाना ।परेशान गुलशन , बहाना सहारा ।।कभी आदतों से , नहीं बाज आता ।सताता सजाता , जमाना गवाँरा ।।उड़ा जो मगन हो , महल – बाग- तोता ।सिखाता लुभाता , ठिकाना विचारा ।।न हद पार करनी , न जज्बात खोना…
