खगड़िया-बेगुसराय MLC चुनाव में राजनीति सरगर्मी सीमा रेखा से पार

टुटी चुकी कई राजनीतिक पार्टी की नीति और गठबंधन धर्म खगड़िया-बेगूसराय निकाय के विधान परिषद का चुनावी महासंग्राम ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही, त्यों-त्यों राजनीति सरगर्मी बढ़ती जा रही है। बताते चलें कि आगामी 4 अप्रैल को इस महासंग्राम में मुख्यतः 4 प्रत्याशियों के द्वारा भाग लिया गया है। इस विधान परिषद के चुनाव में ना…

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टुटी चुकी कई राजनीतिक पार्टी की नीति और गठबंधन धर्म

खगड़िया-बेगूसराय निकाय के विधान परिषद का चुनावी महासंग्राम ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही, त्यों-त्यों राजनीति सरगर्मी बढ़ती जा रही है। बताते चलें कि आगामी 4 अप्रैल को इस महासंग्राम में मुख्यतः 4 प्रत्याशियों के द्वारा भाग लिया गया है। इस विधान परिषद के चुनाव में ना पार्टी और ना ही किसी भी पार्टी की नीति रही। गौरतलब हो कि कांग्रेस पार्टी के घोषित उम्मीदवार राजीव कुमार के चुनावी प्रचार-प्रसार में एक तरफ जहां परबत्ता विधानसभा से जदयू विधायक डा० संजीव कुमार है, तो वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा घोषित उम्मीदवार मनोहर कुमार यादव के छोटे भाई सह लोजपा (रा) के जिलाध्यक्ष शिवराज यादव चुनावी मैदान में प्रचार-प्रसार के लिए कुद पड़े हैं। इस तरह उक्त दोनों पार्टी की ना नीति रही और ना ही पार्टी धर्म रहा। इस चुनावी समर में भाई-भाई धर्म खुल कर सामने आ गया है। जानकारी के अनुसार विधान परिषद प्रत्याशी के मुख्य रुप में रजनीश कुमार, जयजयराम सहनी, मनोहर कुमार यादव एवं राजीव कुमार के द्वारा अपने-अपने विजयी होने के दावे ठोकें जा रहे हैं। तो दूसरी तरफ शेष छह निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी जीत का ठिकरा जनप्रतिनिधियों के समक्ष जमकर फोड़ रहे हैं। अब देखना यह होगा कि खगड़िया एवं बेगूसराय की जनता किस प्रत्याशी के सिर एमएलसी का सेहरा बांधेगी, यह तो मतगणना में ही स्पष्ट हो जायेगा।

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चुनाव में पराजय के बाद कई प्रत्याशी पकड़ लेंगे धरती

बिहार विधान परिषद के चुनाव में खगड़िया के 7 प्रखंडों के पंचायत प्रतिनिधी तथा बेगूसराय के 18 प्रखंडों के पंचायत प्रतिनिधी इस चुनावी समर में भाग लेंगे। पंचायत प्रतिनिधी सब जानते हैं कि किसके सिर पर सेहरा बांधना है। इन 10 प्रत्याशियों में किसी एक प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित होगी । लेकिन शेष 9 प्रत्याशियों में किस प्रत्याशी का जमानत जब्त होगी और किस प्रत्याशी को सबसे कम मत मिलेगें यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। यह कहना यहां गुरेज नहीं है कि विधान परिषद के चुनाव में कई प्रत्याशी अपनी हार को देखते हुए धरती पकड़ने को मजबूर हो जायेंगे।

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