कुण्डलिया- परिणय|
घातक है परिणय नहीं, नये
सृजन शुरुआत|
दो दिल आपस में मिले, करें देश की बात||
करें देश की बात, यही भारत है अपना|
हम देंगें सहयोग, नित्य वह देखें सपना||
कहत अमर कविराय,यही शुभचिंतक भारत|
दो दिल मिलकर वही, देश का काटें घातक||
अमरनाथ सोनी “अमर “