कवियों की लेखनी का उपमेय डुमरिया बुजुर्ग का एक परिचय ।। INQUILAB INDIA

कवियों की लेखनी का उपमेय डुमरिया बुजुर्ग का एक परिचय ।। INQUILAB INDIA

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श्रवण आकाश,ब्यूरो रिपोर्ट, खगड़िया आदिकाल में डुमर नामक फुल की वृहत् क्षेत्रों में ज्यादा पैदावार सह आदिकाल से ही वर्तमान में बुजुर्गता दिखाने वाली चर्चित व प्रसिद्ध गाँव डुमरिया बुजुर्ग, जो कि जिले के समस्त भौगोलिक क्षेत्रों से परिपूर्ण गांवों में से एक है। जहाँ अतिप्राचीन भब्य व विशाल माँ भगवती मंदिर कड़ोड़ों की लागत से बनी हुई गाँव की सौन्दर्यता को बढ़ाने का काम करती है।

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जिसके कुल 26 खंड के रूप में जगह – जगह माँ भगवती विराजमान हैं। जो शारदीय नवरात्रि व दशहरा में अपनी रम्यता की तरफ लोगों को आकृष्ट करती हैं। इतना ही नहीं यहाँ के नवयुवकों द्वारा प्रतिस्थापित हनुमान मंदिर, ठाकुर वाड़ी और शिव मंदिर की भी गाँव की मनोरम दिब्य दृश्य में चार चांद लगाने का काम करती हैं।

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जहाँ समय – समय पर विविध प्रकार के सांस्कृतिक समाजिक कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर चलती रहती हैं। साथ ही साथ यहाँ महिला व पुरुष चिकित्सालय स्वास्थ्य समृद्धि व संचेतक का द्वेतक हैं। वहीं सदियों से निरंतर खादी ग्रामोद्योग गाँव की महिलाओं की जिविकोपार्जन का साधन भी रहा हैं। वहीं दस हजार मतदाताओं वाली इस गाँव में नये और पुराने पंचायत भवन व सामुदायिक भवन भी लोक कल्याणकारी गतिविधियों में सहायक हैं। वहीं इस गाँव के पश्चिमी और दक्षिणी सरहद को गंगा व गंडक जैसी नदियों स्पर्श करती हैं। एवं यहाँ के किसानों की समृद्धि हेतु प्रतिवर्ष नई – नई मिट्टियाँ का एक बड़ा – सा भुभाग किसानों को समृद्ध करती हैं. पुर्व और उत्तर की काली मिट्टी सोना उगलती हैं। जिसके अंतर्गत नगदी, खरीक, रबी, गरमा आदि सभी फसलों की कृषि वृहत पैमाने पर की जाती है। ग्रामीण बुजुर्ग के अनुसार डुमरिया बुजुर्ग अंग्रेजी काल से ही शिक्षा का हब रहा है। यहाँ लड़के और लड़कियों के शिक्षा के लिए अलग-अलग प्राथमिक, मध्य और उच्च शिक्षण केंद्र संचालित होते आ रहें हैं। जहाँ के अधिकांश बच्चे देश के विभिन्न विभागों में अपनी सेवा से डुमरिया बुजुर्ग गाँव को गौरवान्वित करता आ रहा है। यहाँ कि भौगोलिक परिदृश्य लोक लुभावन है, जिसमें बाग – बगीचे और फुलवारी दियारा क्षेत्र बड़े हीं मनोरम और उर्जित है। यहाँ की राजनीतिक विरासत भी उत्कृष्ट रही है। जहाँ पहला विधायक, पहला चैयरमेन, पहला प्रखण्ड प्रमुख को देने वाली ये धरती धन्य हैं। अलवत्ता डुमरिया बुजुर्ग की शैक्षिक सम्पन्नता, धार्मिक व सांस्कृतिक उत्सव, राजनीतिक विरासत, समाजिक समरसता, भौगोलिक समृद्धि एवं स्वास्थ्यगत ऊर्जस्वीता बर्बसदीन आवाम को अपनी ओर खींचती है।

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