कविता पर कविता

कविता पर कविता कोसोच रहा हूं मैंउसके लिए शब्दों कोखोज रहा हूं मैं गरिमा इसकी रखनी हैउलझ रहा हूं मैंक्या इसकी कहानी हैसमझ रहा हूं मैं शब्दों को चुन-चुन करपिरो रहा हूं मैंभाव जगे हैं अब जमकरसंजो रहा हूं मैं शैली की अपनी महत्वता हैजान रहा हूं मैंशब्दों को इसी शैली मेंढाल रहा हूं मैं…

कविता पर कविता को
सोच रहा हूं मैं
उसके लिए शब्दों को
खोज रहा हूं मैं

गरिमा इसकी रखनी है
उलझ रहा हूं मैं
क्या इसकी कहानी है
समझ रहा हूं मैं

शब्दों को चुन-चुन कर
पिरो रहा हूं मैं
भाव जगे हैं अब जमकर
संजो रहा हूं मैं

शैली की अपनी महत्वता है
जान रहा हूं मैं
शब्दों को इसी शैली में
ढाल रहा हूं मैं

कविता पर कविता को
सोच रहा हूं मैं
उसके लिए शब्दों को
खोज रहा हूं मैं
………………………………..
देवेश दीक्षित

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