गुणधर्म- दर्शन
कलम की,
ऊर्जस-चेतना,पैनी
सूक्ष्म दृष्टि का वरदान है।
ध्येय है, युग- सत्य- द्वार विमर्श
हर कलम का।
न देखो,कलम
को, चयनित विषय
की परिसीमा में..
न रचयिता के
“जैविक व्यक्तित्व’
के पूर्वाग्रह से,
ओजस् वाणी कलम की,
अंतः ध्वनि है,
आत्मस्थ शब्द ब्रह्म
की,शारद- शक्ति की,
है वह- प्रतीक,
कवि शान्त आत्म-भावी.
कलम श्रेयसी है,
जन-समूह की,
रचनाकार हैं,
विन्दु- सम. विचार
है, ब्रह्म- वाणी,
हर ध्वनि को करें,
छंदबद्ध,लोक- संग्रह
धर्म कलम का है…..
युग- दृष्टि संवाहक
है कलम, विचार- क्रांति
है लक्ष्य, जिससे वह
संगीतबद्ध…..
मीरा भारती