उनकी बददुआ कभी भी बेअसर नहीं जाती

जंग लगी तलवार से जंग जीती नहीं जाती।कागज के फूलों से खुशबू कभी नहीं आती।। बरसात में तो बस मेंढक ही टर्राते मिलेंगे।बिना बसंत ऋतु आये कोयल कभी नहीं गाती।। शेर कितना भी भूखा हो घास कभी नहीं खाता।गाय कितनी भी भूखी हो मांस कभी नहीं खाती।। अकेला चना कभी भी भाड़ नहीं फोड़ सकता।इतनी…

जंग लगी तलवार से जंग जीती नहीं जाती।
कागज के फूलों से खुशबू कभी नहीं आती।।

बरसात में तो बस मेंढक ही टर्राते मिलेंगे।
बिना बसंत ऋतु आये कोयल कभी नहीं गाती।।

शेर कितना भी भूखा हो घास कभी नहीं खाता।
गाय कितनी भी भूखी हो मांस कभी नहीं खाती।।

अकेला चना कभी भी भाड़ नहीं फोड़ सकता।
इतनी सी बात भी लोगों को समझ नहीं आती।।

कुत्तों के भौंकने से हाथी रुका नहीं करता।
कितनी भी वर्षा हो, समंदर में बाढ़ नहीं आती।।

नेकी का परिणाम हमेशा नेक ही मिलता है।
बदी करने से कभी घर में बरकत नहीं आती।।

बहुत कोशिश की जालिम तुम्हें भुलाने की मगर,
तुम्हारी याद है कि दिल से कभी भी नहीं जाती।।

मत दुखाना किसी गरीब का दिल कभी भी ‘प्यारे’।
उनकी बददुआ कभी भी बेअसर नहीं जाती।।

प्यारेलाल साहू मरौद छत्तीसगढ़

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