मैखाने वाली गली में जाना अब छोड़ दिया।
सच कहूँ तो मोहोब्बत करना ही छोड़ दिया।
कुरान पढ़ने लगा हूँ कुछ दिनों से में अब
किसी का नाम जप ना मेनें छोड़ दिया।
चार दीवारों के अंदर रखता हूँ ख़ुद को में
कैद बाहर उजालों में जाना मेनें छोड़ दिया।
नज़रे झुका कर चल रहा हूँ भीड़ में नज़रो
से नज़रे मिला कर चलना मेनें छोड़ दिया।
खुद को एक उम्र देनी है ज़िंदगी जीने की
ज़माने के पीछे भागना मेनें छोड़ दिया।
खुद को कीमती वक़्त दे रहा हूँ किसीके
पीछे वक़्त बर्बाद करना मेनें छोड़ दिया।
नीक राजपूत