“आँसू”

  अनदेखे आँसुओं पर प्रियतम की नजर नहीं पड़ती कुछ आँसुओं को प्रियतमा छुपा कर रखती है सहेज कर जो अंदर के दर्द को समझ जाए तो ये आँसू कभी ना आये, पर अंतर्मन में उठ रहे उद्वेग को मैं शांत कर लेती हूँ चुप रह कर। ये आँसू भी कई किरदार निभाते है हर…

पूजा गुप्ता

 

अनदेखे आँसुओं पर प्रियतम की नजर नहीं पड़ती
कुछ आँसुओं को प्रियतमा छुपा कर रखती है सहेज कर

जो अंदर के दर्द को समझ जाए तो ये आँसू कभी ना आये,
पर अंतर्मन में उठ रहे उद्वेग को मैं शांत कर लेती हूँ चुप रह कर।

ये आँसू भी कई किरदार निभाते है हर जगह एक से नहीं बहते आँसू,
कहीं प्रेम में, कहीं वेदना में, कहीं खुशी के, कहीं ठगे हुए से आँसू।

माँ बनने की खुशी में आँसू, किसी अपने के जाने के आँसू,
विरह के आँसू, तन्हाई के आँसू, ममता भरे आँसू,
धोखे के आँसू, तड़प के आँसू।

किसी की याद में बहते आँसू, बर्बादी के
आँसू,चोट के आँसू,
विदाई के आँसू, झूठ और सच के बहते आँसू,
जुदाई मिलन के आँसू।

बिकते हुए आँसू,फरेबी आँसू, कुछ ना पाने के आँसू, गले लगाने के आँसू,
बात मनवाने के आँसू, डरे हुए बच्चे के बहते हुए आँसू।

ना जाने कितने घरों के उजड़ने के आँसू बर्बाद कर देते हैं जीवन,
दे जाते हैं उम्र भर का सबब और बन जाते हैं मजबूरी के आँसू।

बर्बादी के आँसू, आजादी के आँसू, रात की तकिया में टिके आँसू,
बंधन के आँसू, स्वतंत्रता के आँसू, बेवजह बहते हुए आँसू।

जो बह ना पाये जो सह ना पाये और ना जाने कितनी नाउम्मीदें,
अनकहे किस्सों मे लिख दिए जाते हैं वो आँसू स्वर्णिम अक्षरों में।

स्वरचित और मौलिक रचना
पूजा गुप्ता मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

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