जो प्यार न समझे प्यार करे,
अंजाम न जाने क्या होगा ?
मतलबपरस्त बन गए लोग यहाँ,
अब इन बागों का क्या होगा?
कद्दू छूरी की दोस्ती हो गई,
बोलो कद्दू का क्या होगा ?
जिसे दुश्मन की पहचान न हो,
उस बेचारे का अब क्या होगा ?
पग घुँघरू, पर नाच न जाने,
अब उसकी नृत्य कैसा होगा ?
जो कूद गया गहरी नदिया,
तैरना नहीं जाने क्या होगा ?
शातिर जब चाल पर चाल चले,
तब न समझोगे तो क्या होगा ?
अजी सोये रहोगे हर वक्त अगर,
बोलो बिन जागे, आगे क्या होगा ?
देश की हालत बहुत खराब है,
न रोको-टोको तो क्या होगा ?
चोर लुटेरे बेखौफ हो गए,
तुम घर बैठे रहो फिर क्या होगा ?
पत्थर-दिल से तुम नेह करो,
बोलो फिर आगे क्या होगा ?
जो प्यार न समझे प्यार करे,
अंजाम न जाने क्या होगा ?
नाम:-अमरेन्द्र पता:-पचरुखिया,फतुहा,पटना,बिहार।
घोषणा:-स्वरचित एवं मौलिक